काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब होते हमारे पर पत्थर की निगाहों भी प्यार से भरी होती, ना कोई देखता हमें नज़र मैली से, सिर्फ प्यार और खुबसूरती का प्रतीक होते, . काश! हम गुलाब होते तो हम सबकी पाक मुहब्बत का तोहफा होते, किसी की किताब में, किसी की जेब पर सजा धड़कन सुनते किसी के गुलदान में सजते, . काश! हम गुलाब होते, किसी के आशियानों में, याँ डाल से कट जाने के बाद भी किसी पैगंबर के मजारों पर, यां किसी की पुसतकानों में, . काश! हम गुलाब होते कितने मशहूर होते, पाक इश्क़ के तोहफों में हम भी इज़हार ऐ इश्क़ के गवाह होते, . काश! हम गुलाब होते भँवरों से संगीत सुनते, हवाओं पर खिल खिलकर झुमते, हम बेबाक होते, क्योंकि हम तेरे धर्म से जुदा होते, सज़ा करते हर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में, तुम्हारे धर्मों में ना हम पिसा करते . काश! हम गुलाब होते कितने मशहूर होते, गुरु, पैगम्बर, हर इंसान हर मुलक में दिलबर हमारे, और हम उनके होते, धर्म के पहरे में हम नहीं आते, हम हर महान महात्मा की श्रद्धांजलि...