Showing posts with label Hindi Poetry. Show all posts
Showing posts with label Hindi Poetry. Show all posts

July 24, 2022

Raah di kismat

 𝓓𝓮𝓼𝓽𝓲𝓷𝔂 𝓸𝓯 𝓮𝓿𝓮𝓻𝔂 𝓹𝓪𝓽𝓱 .


ਹਰ ਰਾਹ ਦੀ ਕਿਸਮਤ

ਹਰ ਰਾਹ ਤੋਂ ਹਰ ਕੋਈ

ਮੰਜ਼ਿਲ ਭਾਲਦਾ ਹੈ,

ਕਦੇ ਮਿੱਟੀ ਸਨੇ ਪੈਰਾਂ ਹੇਠਾਂ

ਧਰਤ ਨਹੀਂ ਖੰਗਾਲਦਾ,

ਬਿਨ ਪਾਣੀ ਦੇ ਤਪਦੀ

ਮਿੱਟੀ ਰੇਤ ਹੁੰਦੀ,

ਕਿਉਂ ਨੀ ਕੋਈ ਮਿੱਟੀ ਮਿੱਟੀ ਦਾ

ਫ਼ਰਕ ਪਛਾਣਦਾ,

ਬੱਦਲਾਂ ਬੱਦਲਾਂ ਦਾ ਵੀ ਵੇਖ ਜ਼ਰਾ ਕੁ

ਕਿੰਨਾ ਕਿੰਨਾ ਫ਼ਰਕ ਏ,

ਸ਼ਾਹ ਕਾਲੇ ਹਨ੍ਹੇਰ ਬਣ ਆਵਣ,

ਚਿੱਟੇ ਘੋੜੇ ਦਿਖਦੇ ਕਦੇ ਸੁਹਾਵਣੇ,

ਦਿਲ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਦਿਲ ਦੇ ਜਾਵਣ।


ਸੁਗਮ ਬਡਿਆਲ

February 10, 2022

Hond Sach ਹੋਂਦ ਸੱਚ

 

ਨਿਰੰਕਾਰ ਸੱਚ.
ਅਵਾਜ਼ ਸੱਚ.
ਕਾਲ ਸੱਚ.
ਅਕਲ ਸੱਚ.
ਅਕਾਲ ਸੱਚ.
ਗਿਆਨ ਸੱਚ.
ਗਿਆਨਵਾਨ ਸੱਚ.
ਰੂਹਾਨੀ ਸੱਚ.
ਅਕਾਰ ਸੱਚ.
ਇਨਸਾਨੀ ਸੱਚ.
ਗਹਿਰਾਈ ਸੱਚ.
ਦੁਆ ਸੱਚ.
ਕੁਦਰਤ ਸੱਚ.
ਬ੍ਰਹਿਮੰਡ ਦਾ
ਵਿਗਿਆਨ ਸੱਚ.
ਹਰ ਹਰਫ਼ 'ਚ ਅਰਥ
ਤਾਲੀਮ ਸੱਚ.
ਗ੍ਰਹਿ ਸੱਚ.
ਅਸਮਾਨ ਸੱਚ.
ਪਤਾਲ ਸੱਚ.
ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ
ਵਹਾਅ ਵਿੱਚ
ਤੀਬਰਤਾ ਸੱਚ.
ਸਵੇਰ ਸੱਚ.
ਹਨ੍ਹੇਰ ਸੱਚ.
ਸੂਰਜ ਚੰਨ ਸੱਚ.
ਅਗਨੀ ਤਾਪ ਸੱਚ.
ਨਿਰਜੀਵ ਦੀ ਹੋਂਦ ਤੇ
ਰੱਬੀ ਮਿਹਰ ਸੱਚ.
ਫ਼ੇਰ ਵੀ ਫ਼ਕੀਰ ਕਹਿ ਗਏ
ਸੰਸਾਰ ਇੱਕ ਸੁਪਨਾ
ਹੈ ਹੀ ਨਹੀਂ ਕੋਈ ਸੱਚ।

_____ ___ ਸੁਗਮ ਬਡਿਆਲ

January 27, 2022

Zindagi se.. जिंदगी से

 

गहमागहमी में
चल पड़ता हूँ
फिर रोज़ उसी दिशा में
यहाँ की बातें
परेशानी देती हैं,

ठंडी सील पे
जैसे सुला देती है
कोई फिक्र फिर से
रुला देती है,

आंसू पौंच, पर
फिर वहीं लोट जाने की
सलाह दी जाती है,
रोज़ जिंदगी के नाम पे
कोई बड़ी सी बात
सुना दी जाती है,

रोज़ एक नई बात
लोगों को देख
समझ आती है
जल्दी जल्दी में
फिर जिंदगी के
सबक वाली बात
थैले में रख
भूला दी जाती है,

बैल की तरह
रोज़ जोता जाता हूँ
मजबूरी के सामने
घुटनों के बल
चला जाता हूँ मैं,

जिंदगी! जिंदगी!
और जिंदगी...
ऐसे ही चलती है,
लफ्ज़ सुनते सुनाते
समय बिताता हूँ मैं,

सुगम बडियाल✨

January 26, 2022

Koi rooh ਕੋਈ ਰੂਹ


 ਅੱਗ ਵਾਲ਼ ਦਿੰਦੀ ਏ

ਕੋਈ ਕਹਾਣੀ ਐਸੀ

ਜਦ ਕਾਇਨਾਤ ਲਿਖੇ,

ਇੱਕ ਗੋਲੇ ਦੀ ਧਰਤ ਉੱਤੇ

ਆਦਮ ਜਾਤ ਜਿਹੀ

ਆਮ ਪੈਦਾ ਹੋਈ ਏ,

ਰਿਹੱਸ ਕੁਦਰਤ

ਹੌਲੀ- ਹੌਲੀ ਆਪੇ

ਰਚਦੀ ਤੇ ਭਰਮਾਉਦੀ ਏ,


ਪਤਾ ਹੈ ਕਿ

ਜੋਤ ਦੀ ਲਾਟ

ਵਲ਼ਦੀ - ਵਲ਼ਦੀ

ਜੰਗਲ ਜਲਾ ਸੁੱਟੇਗੀ,

ਦੀਵੇ ਦੀ ਬੁੱਕਲ ਵਿੱਚ

ਜੋਤ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਤੁਰੇ,

ਕਿੱਥੇ ਜੱਗਣਾ ਹੈ,

ਕਿੱਥੇ ਮੱਧਮ ਪੈ ਕੇ

ਰਾਤ ਨੂੰ ਚਾਨਣ ਦੀਆਂ

ਰਿਸ਼ਮਾਂ 'ਚ ਲਿਪਟਣ

ਦੇਣਾ ਹੈ,

ਲਾਟ ਨੂੰ ਲਾਟ ਆਪੇ

ਵਾਲ਼ ਸੁੱਟੇਗੀ,


ਕਦੇ ਉਹ ਲਾਟ ਦੀਵੇ ਵਿੱਚ

ਸਜ਼ਾ ਕੇ ਖੂਬਸੂਰਤ ਹੋਣ ਦਾ

ਅਹਿਸਾਸ ਕਰਾਏਗੀ,

ਪਤਾ ਵੀ ਨਹੀਂ

ਕਦੋਂ ਮੇਰੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ

ਵਲਦੀ ਲਾਟ ਤੋਂ ਰੂਹ

ਨਿਕਲ ਜਾਵੇਗੀ?


ਪਾਪੀ ਸੀ ਕਿ ਪਵਿੱਤਰ

ਕਿਹੜੀ ਲਾਟ

ਕਿਸ ਨਾਲ ਮਿਲ

ਰੂਹ ਦੀ ਸੁਲਾਹ ਸਲਾਹ

ਨਜਿੱਠ ਲਾਟ ਬੁਝਾ ਦੇਵੇਗੀ?


ਸੁਗਮ ਬਡਿਆਲ


Do kinaare दो किनारे

 

राह के दो किनारे जैसे
कभी मिल एक नहीं होते,
अगर हो जाऐं तो
वो रास्ते खत्म हो
जाया करते हैं,

इस लिए तो जिंदगी
शांति नहीं, सांचे में
पूरी ढलती ही कहाँ है,
सांचे से बाहर निकल
उबाल मारे बगैर
रह ही नहीं सकती,

कभी ना खत्म होती राह है,
खुशी - गमी, पास - दूर
आगे- पीछे, हर वक़्त
वक्त मूझे खींचता है
और मैं वक़्त की निशानीयां,

खीचा तानी लगी ही हुई है,
मगर कभी जिंदगी
सुलह नहीं करेगी,
पता है? जहाँ सुलह हुई
वो वक्त, वो राह
आखरी होगी,
सांस आखिरी
किनारे पर बैठी होगी,

सुगम बडियाल✨


Note ; It's my hindi translated poetry, my Original poetry written in Punjabi 

Je Shaam ये शाम

 

ये शाम...
रंग छोड़ते आसमान में
सूरज और चांद की
मुलाकात हुई...
लगता, अहल ऐ फिरदौस भी जैसे
आसमां से धरती पर आ उतरे,

सूरज का उस ऊंची सी
बिलडिंग के पीछे छुप जाना,
शहर की गड़गड़ाहट,
हड़बड़ाहट में लोग
घर लोटने की,

शहरों से काफिले गाड़ियों के
शांत, सुनसान सड़कों से यूँ गुज़रना
भंवरों का जैसे फूलों पे मंडरा
रस भर आगे बढ़ जाना

ये चिड़ियों का घोंसलों में
लौट जाने की दौड़,
रंग बदलते आसमान को देखना
जादूगर का खेल है जैसे,

यूँ ही ढल गयी यहीं कही हमारी ऊम्र
काएनात शबाब पर है होती कहीं,
मरीज़ ऐ इश्क़ कभी ढुँढ रहा
मेरे दिल तक की मंज़िल,

सुन हवाओं का हमें मजबूर कर देना
जेब में हाथों का आशियाना ले लेना
ये रंग छोड़ते आसमान को बदलते देखना
कौन जादूगर दिखाता है, बिना सौदे के
काएनात के अदभुत, पाक
कभी जागे, सोये से मंज़र,

सुगम बडियाल

Kavitayein कविताएँ

 

हम कविता नहीं लिखते
कविताएँ हमें लिखती हैं,

तकिया कलाम सा अंदाज लिखती हैं,
कुछ हसी ठिठोली से मजाज़ लिखतीं है,

तबीयत ऐ अंदाज लिखती हैं
कुछ गंभीर वारदातों के हालात लिखती हैं,

मुहब्बत जताया नहीं करते
खुद को खुद में मोम की तरह ढाल लिखती हैं,

कुछ मासूम चिड़ियों की तरह
चीख चीख अपनी ही धुन में गीत लिखती हैं,

उड़ते परिंदों की तरह आजाद
कुछ बेफिक्री तसीर से ख्याल लिखती हैं,

कुछ मायूस चहरे, कुछ राज़दार
हर चहरे के पीछे छुपे चेहरों के राज़ लिखती हैं,

बाद ऐ फना होने से पहले
तमाम रहे अधूरे काम लिखती हैं,

सुगम बडियाल

May 22, 2021

Zindagi ki Rasoi jaise

 

जिंदगी की रसोई में बहुत कुछ पक रहा है
यूँ समझों खाना ही है, बहु भोज,
एक डिश है जिंदगी,
मर्ज़ी है हमारी, कैसी भी बनाऊँ,
बहुत मसाले डालो तो कहीं जाकर
पकवान चटपटा बनता है,
मालूम है, ज़्यादा मसाला अच्छा भी नहीं
मगर बाद का अभी क्यों सोचना,

कभी तो ऐसा भी होता है
जो सब्जी मुझे पसंद नहीं
तो हम देखते भी नहीं तरफ़ उसके,
बहुत कहती है माँ हमें कि
ये हमारी सेहत के लिए अच्छी है,
मगर हमें सेहत से कहीं जयादा
मुंह का सवाद जो चाहिए,
फिर कभी जब तबियत खराब हो जाए
तो याद आती है अच्छे पोष्टिक खाने की,

ऐसी ही तो कहीं है जिंदगी,
सब अपने सवाद के हिसाब से हमें चाहिए,
फिर कभी उलझ जाए जिंदगी तो
हमें पीछे छुटी नापसंद बातें याद आती हैं,
काश! हम जिंदगी की उम्मीदों को
थोड़ा सा कम ही रखते,
जिंदगी हर तरह की लज़्ज़तों से भरी है,
फीका, मिर्च मसाला हर तरह से,
थोड़ा ख्याल किया करते
तो सेहत और जिंदगी थोड़ी संभाल लेते,

सुगम बडियाल

February 21, 2021

काश! हम गुलाब होते

 

काश! हम गुलाब होते
तो कितने मशहूर होते
किसी के बालों में,
किसी के बागों में,
किसी मसजिद में,
तो कभी किसी मजहार पे सजे होते,

काश! हम गुलाब होते
हमारे पर पत्थर की निगाहों भी
प्यार से भरी होती,
ना कोई देखता हमें नज़र मैली से,
सिर्फ प्यार और खुबसूरती का प्रतीक होते,

काश! हम गुलाब होते
तो हम सबकी पाक मुहब्बत का
तोहफा होते,
किसी की किताब में,
किसी की जेब पर सजा धड़कन सुनते
किसी के गुलदान में सजते,

काश! हम गुलाब होते,
किसी के आशियानों में,
याँ डाल से कट जाने के बाद भी
किसी पैगंबर के मजारों पर,
यां किसी की पुसतकानों में,

काश! हम गुलाब होते
कितने मशहूर होते,
पाक इश्क़ के तोहफों में
हम भी इज़हार ऐ इश्क़ के
गवाह होते,

काश! हम गुलाब होते
भँवरों से संगीत सुनते,
हवाओं पर खिल खिलकर झुमते,
हम बेबाक होते,
क्योंकि हम तेरे धर्म से जुदा होते,
सज़ा करते हर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में,
तुम्हारे धर्मों में ना हम पिसा करते

काश! हम गुलाब होते
कितने मशहूर होते,
गुरु, पैगम्बर, हर इंसान
हर मुलक में दिलबर हमारे,
और हम उनके होते,
धर्म के पहरे में हम नहीं आते,
हम हर महान महात्मा की श्रद्धांजलि होते,
और सभी को हम कबुल होते,

सुगम बडियाल❤

February 20, 2021

Preet ਪ੍ਰੀਤ

 

ਮੈਂ ਫ਼ੇਰ ਲੱਭਾਂਗੀ ਤੈਨੂੰ ਜੜਾਂਗੀ ਪ੍ਰੀਤ ਦੇ ਫਰੇਮ ਵਿੱਚ
ਸਮੇਂ ਦੀ ਚਾਪ ਵਿੱਚੋਂ ਕੁਝ ਪਲ ਉਧਾਰ ਲੈ ਕੇ
ਤੇਰੇ ਲਈ ਸਮਾਂ ਆਪਣਾ ਰੋਕ ਲਵਾਂਗੇ
ਖਿੱਚ ਧੂਹ ਕੇ ਜਾਂ ਆਪਣੀ ਅੱਖਾਂ ਪਿੱਛੇ ਬੰਦ ਕਰ ਕੇ

Sugam Badyal


Main Pher Labhangi Tenu
Jrangi Preet De Frame Vich
Samme Di Chaap Vichon
Kuzz Pal Udhaar Lae Ke
Tere Layi Samma Aapna
Rok Lawange
Khich Dhuh Ke Yaan
Aapni Akhaan Pichhe
Band Kar ke...

September 02, 2020

अधूरी कहानी Adhuri Kahani

 कुछ तो होगा इस जहां में हमारा

कि हम कुछ खास महसूस करते हैं, 


कुछ तो अधुरा है अभी पीछे 

कि हम आगे बढ़ना नहीं हैं चाहते,


अंधेरों से भी इतना प्यार है

ये डरायें तो भी डरावने नहीं लगते,


कुछ तो है कि हम अधूरे हैं

मगर फिर भी अधूरे नही लगते,


सुगम बडियाल

मोहब्बत गरुर है Mohabbat Garur hai


August 27, 2020

खत तेरे नाम पर Khatt Tere Naam Per

तेरे नाम पर एक खत
लिखने को मन किया,
कुछ गुस्सा लिखा,
कुछ हसीन पल यादों के
पन्नों पर लूटाए,

कुछ मन घड़त बातें बनाई
कुछ उदासी की जड़ उखाड़ फेंकू,
कुछ हल तो बता,
कुछ इन्सान ने रुलाया
कुछ तेरी अन्देखी से हुए खता,

कुछ प्यार आया था तूझ पर,
कुछ नाराज़गी ने इनकार किया
जो समझाया मूझे तूने,
कभी हाँ कभी इंन्कार किया,

लिख दिया, मगर पता नहीं
भेजूं किस पते पर तूझे खुदा!
अब ये बतायेगा कौन,

सुगम बडियाल🌼

August 20, 2020

ऐहसान फरामोश Ehsaas Framosh

ऐहसान फरामोश लोग हैं वो,
हमनें तो उनकी तिजोरी पर पहरा बिठाया,
और उन्होंने हमें ही चोर का ताज पहना दिया,


सुगम बडियाल

August 14, 2020

Kaali Raat ਕਾਲੀ ਰਾਤ

ਕਾਲੀ ਰਾਤ ਤੂੰ ਕਦੇ ਨੀਂ ਕਹਿੰਦੀ
ਕਿ ਮੈਂਨੂੰ ਦਿਨ ਚਾਹੀਦਾ ਹਾਂ,
ਜ਼ਮਾਨੇ ਭਰ ਦੇ ਦੌਰ ਇੰਝ ਹੀ
ਇੱਕ ਰਾਤ ਵਿੱਚ ਹੀ ਨਿਗਲ ਜਾਂਦੀ ਏਂ,

ਸੁਗਮ ਬਡਿਆਲ


काली रात तूँ कभी नहीं कहती कि
मुझे भी दिन चाहिए,
 ज़माने भर के दौर यूँ ही
एक ही रात में निगल जाती है,

सुगम बडियाल

July 26, 2020

सपनों के पीछे Sapnon Ke Peche


सपने देखो! भागो, जीयो,
थक जाएं तो थोड़ा आराम कर लेने की
इज़ाज़त दो इन आँखों को,
कुछ जनून भरने की,
कुछ ना मुमकिन तो नहीं,
कहीं रास्ते पहाड़ पार होंगे,
कुछ ना खुशनुमा से यकीन होंगे,
पर बेबाक दिलो दिमाग कर चढ़े
जवान ऐ मिज़ाज फितूर होंगे,

एक अंधेरा कमरा रहने को था मिला हमें,
एक दुर से छनकर आई रोशनी से
आबोहवा में कितनी उम्मीद सी जगी,
उस अंधेरे को कितना सहारा मिला,
जो अपना भी नहीं था
कितना प्यार, उम्मीद थी उस रोशनी से
कि जीने का पैगाम मिला,
कुछ ना खुशनुमा से यकीन होंगे,
पर बेबाक दिलो दिमाग कर चढ़े
जवान ऐ मिज़ाज फितूर होंगे,

मन की गहराई में भी एक
दीवार पर रखा एक दीया है,
आग जलाने अभी कोई आया नहीं,
जहाँ न कोई आता न कोई जाता है,
उस यकीन की दीवार पर
आता जाता राहगीर एक "मैं" ही हूँ,
बस! यकीन करके खुद की शक्ति पर
एक चिंगारी जलाने की तमन्ना है,
कुछ ना खुशनुमा से यकीन होंगे,
पर बेबाक दिलो दिमाग कर चढ़े
जवान ऐ मिज़ाज फितूर होंगे,

सुगम आसान सपने जैसा कुछ भी नहीं,
हर दिन रात जैसा है,
हर रात जैसे उम्मीद है कल नये
दिन के साथ सपनों के बोझ को लेकर
निकल जाने की, खंगाल कुछ दौर,
पुराने वर्षों को पीछे छोड़ आकर,
फिर और नये सपनों का बोझ
उठा चल पड़ता हूँ,
कुछ ना खुशनुमा से यकीन होंगे,
पर बेबाक दिलो दिमाग कर चढ़े
जवान ऐ मिज़ाज फितूर होंगे,

सपने में ही तो हैं हम सब,
फिर भी वो ढूंढने निकल पड़े हैं
जिस से बहुत दूर भाग आये थे हम
बहुत दूर... बहुत ही दूर,
ज़िन्दगी मेरे साथ थी, पास बैठी थी,
मगर कभी मौका ही नहीं देख पाये,
इस जान के भीतर लाखों लोग सपने ही तो थे,
सपने बहुत नज़दीक थे, मगर
कभी मुट्ठी भर भी भरोसा नहीं भर पाये,
सपने से हकीकत बना पाने का,
क्योंकि कुछ ना खुशनुमा से यकीन होंगे,
खुद से खुद पर सिमटते सवालों के
जवाब बेशुमार होंगे!


सुगम बडियाल🌼

दर्द के तुफान Dard Ke Tufaan

अभी बहुत दर्द बाकी है
अभी से रोने लगे तो
दर्द को छुपायेंगे कैसे,
मौसमी तुफान है
हम भी देखेंगे,
मातम का पहरा वो
अभी से हमारे नाम पर
बिठायेंगे कैसे?

आजकल फिज़ाओं में
मायूसीयत कुछ ज्यादा है,
कोई बात नहीं!
हमें भी इन्हें धोखा देने में
आजकल मज़ा आ रहा है,

काले रंग में एक
सकून रहता है,
कोई डराने आये
तो अंधेरों में डरेंगे कैसे?
अक्सर ये जगमग करते दिन
ही हमें डरा देते हैं
अंधेरी यादों में इतना हर कहाँ?

सुगम बडियाल🌼

Home

ਪਰਛਾਵੇਂ ਅਕਸਰ ਸਕੂਨ ਵੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਡਰਾਉਂਦੇ ਵੀ ਬਹੁਤ ਹਨ। ਜੇ ਕੋਈ 'ਉਮੀਦ' ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਉਡੀਕਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪਰਛਾਵਾਂ ਵੀ ਇਨਸਾਨ ਦੀ ਹੋਂਦ ਦਾ ਕਾਰਣ ਹੈ। ਜੇ ਪ...