ऐहसान फरामोश लोग हैं वो,
हमनें तो उनकी तिजोरी पर पहरा बिठाया,
और उन्होंने हमें ही चोर का ताज पहना दिया,
सुगम बडियाल
हमनें तो उनकी तिजोरी पर पहरा बिठाया,
और उन्होंने हमें ही चोर का ताज पहना दिया,
सुगम बडियाल
काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब ...
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