कुछ तो होगा इस जहां में हमारा
कि हम कुछ खास महसूस करते हैं,
कुछ तो अधुरा है अभी पीछे
कि हम आगे बढ़ना नहीं हैं चाहते,
अंधेरों से भी इतना प्यार है
ये डरायें तो भी डरावने नहीं लगते,
कुछ तो है कि हम अधूरे हैं
मगर फिर भी अधूरे नही लगते,
सुगम बडियाल
काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब ...
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