January 26, 2022

Je Shaam ये शाम

 

ये शाम...
रंग छोड़ते आसमान में
सूरज और चांद की
मुलाकात हुई...
लगता, अहल ऐ फिरदौस भी जैसे
आसमां से धरती पर आ उतरे,

सूरज का उस ऊंची सी
बिलडिंग के पीछे छुप जाना,
शहर की गड़गड़ाहट,
हड़बड़ाहट में लोग
घर लोटने की,

शहरों से काफिले गाड़ियों के
शांत, सुनसान सड़कों से यूँ गुज़रना
भंवरों का जैसे फूलों पे मंडरा
रस भर आगे बढ़ जाना

ये चिड़ियों का घोंसलों में
लौट जाने की दौड़,
रंग बदलते आसमान को देखना
जादूगर का खेल है जैसे,

यूँ ही ढल गयी यहीं कही हमारी ऊम्र
काएनात शबाब पर है होती कहीं,
मरीज़ ऐ इश्क़ कभी ढुँढ रहा
मेरे दिल तक की मंज़िल,

सुन हवाओं का हमें मजबूर कर देना
जेब में हाथों का आशियाना ले लेना
ये रंग छोड़ते आसमान को बदलते देखना
कौन जादूगर दिखाता है, बिना सौदे के
काएनात के अदभुत, पाक
कभी जागे, सोये से मंज़र,

सुगम बडियाल

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