Kavitayein कविताएँ

 

हम कविता नहीं लिखते
कविताएँ हमें लिखती हैं,

तकिया कलाम सा अंदाज लिखती हैं,
कुछ हसी ठिठोली से मजाज़ लिखतीं है,

तबीयत ऐ अंदाज लिखती हैं
कुछ गंभीर वारदातों के हालात लिखती हैं,

मुहब्बत जताया नहीं करते
खुद को खुद में मोम की तरह ढाल लिखती हैं,

कुछ मासूम चिड़ियों की तरह
चीख चीख अपनी ही धुन में गीत लिखती हैं,

उड़ते परिंदों की तरह आजाद
कुछ बेफिक्री तसीर से ख्याल लिखती हैं,

कुछ मायूस चहरे, कुछ राज़दार
हर चहरे के पीछे छुपे चेहरों के राज़ लिखती हैं,

बाद ऐ फना होने से पहले
तमाम रहे अधूरे काम लिखती हैं,

सुगम बडियाल

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