दुनिया की महफ़िल Duniya Ki Mehfil

'किसी को अजीब
किसी को खास लगते हैं
बेफिक्रे से अंदाज़ लगते हैं
ज़िन्दगी में हर चीज़ के दाम लगते हैं
ए- दुनियाँ हम भी आपकी तरह ही हैं
हम भी थोड़े थोड़े बदनाम लगते हैं'

शायर नई शायरी की तमन्ना करता है
अल्लाह! तेरी मोजों में
हमने भी मेले कई देख लिए,
पर तेरे दर जैसी कोई
महफ़िल हसीन नहीं लगती,


सुगम बडियाल

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