जज़्बात हमारे दिल में
हमें कोई शौंक नहीं कि
ऐसे ही उड़ाते फिरें हम
अपने जज़्बातों के पन्नों को
बहुत कीमत लगी है दांव पे
हमारी जिदंगी को हमें
एक धागे में परोस कर
महफुज़ रखने के लिए
~ सुगम बडियाल
काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब ...
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