कांटे Kaante
डर नहीं लगता...
कौन सी काँटों से पहले ना थी कम दोसती
कि हम बरदाश्त की आदत ना बना सकें।
फूलों भी खूब गुनाहगार है
खुबसुरती की आड़ में
काँटे बिछाए बैठे थे।
सुगम बडियाल
कौन सी काँटों से पहले ना थी कम दोसती
कि हम बरदाश्त की आदत ना बना सकें।
फूलों भी खूब गुनाहगार है
खुबसुरती की आड़ में
काँटे बिछाए बैठे थे।
सुगम बडियाल
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