June 06, 2020

कांटे Kaante

डर नहीं लगता...
कौन सी काँटों से पहले ना थी कम दोसती
कि हम बरदाश्त की आदत ना बना सकें।

फूलों भी खूब गुनाहगार है
खुबसुरती की आड़ में
काँटे बिछाए बैठे थे।


सुगम बडियाल

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