"सोच का रास्ता इतना गहरा है
कुछ डूब गए इसमें,
तो कुछ डूब कर
शायर बनकर तैर आए।"
सुगम बडियाल
कुछ डूब गए इसमें,
तो कुछ डूब कर
शायर बनकर तैर आए।"
सुगम बडियाल
काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब ...
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