जिंदगी का समंदर Jindgi Ka Smandhar
कौन ऐसा है
जो मुसकराया हो
गम से बाहर,
दुसरे की कशती
दुर से अच्छी लगती है,
दिल में डर उनके भी
बेपनाह होता है,
पार निकल जाने से पहले
कहीं डूब न जाऊँ,
सुगम बडियाल
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