कौन ऐसा है
जो मुसकराया हो
गम से बाहर,
दुसरे की कशती
दुर से अच्छी लगती है,
दिल में डर उनके भी
बेपनाह होता है,
पार निकल जाने से पहले
कहीं डूब न जाऊँ,
सुगम बडियाल
काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब ...
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