ये जो यादें हैं
आती जाती है रोज
सुबह शाम बिना हमारी
इज़ाज़त के,
कुछ डराती हैं
हसाती है
कुछ रूलाती हैं
फिर कुछ मुसकुराती हैं
सुगम बडियाल🌼
काश! हम गुलाब होते तो कितने मशहूर होते किसी के बालों में, किसी के बागों में, किसी मसजिद में, तो कभी किसी मजहार पे सजे होते, . काश! हम गुलाब ...
No comments:
Post a Comment